Monday, January 17, 2011

मुंबई आदर्श सोसयटी के बहाने नौटंकी

मुंबई की आदर्श सोसायटी को गिराए जाने का आदेश आखिरकार जारी हो गया। पर मजेदार सवाल ये है कि जब ये सोसाटयी बन रही थी तब क्या पूरा प्रशासन और सियासी नेता सो रहे थे। दरअसल ऐसा नहीं है। सबको पता था। करोड़ों की इस सोसायटी में सभी शक्तिशाली व्यक्ति को चाहे वो सियासतदां हो या फिर प्रशासनिक अधिकारी, फायदा पहुंच रहा था। पर्यावरण मंत्रालय औऱ सेना की आपतियों के बाद भी ये गंगनचुंबी इमारत खड़ी हो गई। मगर इस पर होती आपत्तियों को दबा दिया गया। जब इमारत खड़ी होकर रेवड़ी बंटने का समय आया, तो रायता फैल गया। इस सोसायटी के चक्कर में सेना के दो प्रमुख और एक नेवी प्रमुख भी कठघरे में खड़े हैं। यही इस सारे घटनाक्रम में सबसे बड़ी चिंता की बात है। आज भी देश में सेना प्रमुख को आम जनता बड़ी इजज्त के साथ देखती है। तमाम भ्रष्टाचार की खबरों के बाद भी सेना का सम्मान आम इंसान के दिल में कम नहीं हुआ है। इसलिए बेहतर होगा कि रक्षा मंत्रालय जल्द से जल्द इस पर अपनी जांच को पूरी कर जनता के सामने रख दे। क्योंकि सियातदानो औऱ प्रशासनिक अफसरों पर लोगो को विश्वास न के बराबर रह गया है। हालांकि इस सोसयटी ने एक मुख्यमंत्री की कुर्सी छीन ली है। मगर अभी तक किसी प्रशासनिक अधिकारी पर पूरी तरह से गाज नहीं गिरी है। हालात को देखते हुए लग रहा है कि कुछ प्रशासनिक अधिकारी इस मामले में फंसेंगे। पर सवाल यही है कि जब ये अवैध इमारत खड़ी हो रही थी, तब जो अधिकारी मौजूद थे क्या उनपर कोई कड़ी कार्रवाई होगी?

Tuesday, December 28, 2010

प्याज के आंसू-जिम्मेवार कौन?

देश में प्याज के दामों ने लोगो के आंसू निकाल दिए हैं। कई घरों से तो क्या रेस्त्रांओं से भी प्याज लापता हो गया है। बारिश की वजह से होने वाली फसल की बर्बादी को हालांकि पवार साहब दाम बढ़ने का कारण बता रहे हैं। पर जरा ये बताने का कष्ट करेंगे कि देश में जमाखोरो ने जो प्याज बंद कर रखा है गोदामों में उनतक उनकी नजर क्यों नहीं पहुंचती। ऐसा क्या हुआ कि फसल बर्बाद होते ही दाम आसमान पर चढ़ गए। राजधानी दिल्ली में कांग्रेस सरकार शीला दीक्षित की अगुवाई में जमाखोरों को 24 घंटे पहले ही छापे की चेतावनी दे देती है। अब उसके बाद जमाखोर जैसे उनका इंतजार करते। सो 24 घंटे बाद दिल्ली सरकाकर को कोई जमाखोर नहीं मिला। धन्य है दिल्ली सरकार और धन्य हैं शरद  पवार साहब।

Monday, December 27, 2010

लाल परी के साथ नया साल कितना जायज

क्रिसमस और अब नया साल। उसपर पड़ती जबरदस्त ठंड। लालपरी का साथ निभाने का अच्छा बहाना है लोगो के लिए। इसके साथ ही बढ़ जाएगा अस्पतालों में मरीजों का सिलसिला। कहीं-कहीं फुटपाथ पर सो रहे लोगो को परलोक पहुंचाने का इंतजाम। साथ ही बढ़ जाएगी ट्रैफिक पुलिस की आफत। कुछ कुछ कमाई भी। दिल्ली हो, मुंबई हो, कोलकाता या चेन्नई। महानगर तो छोड़िए अब महानगर बनने की कगार पर खड़े शहरों में भी लाल परी को जोरदार स्वागत होता है। जो कभी समाजिक बुराई समझी जाती थी उसे अब उस लाल परी को हर मौके पर बुलाया जाता है। सवाल ये है कि आखिर इस पर क्या रोक पुलिस या कानून बना कर रोक लगाई जा सकती है? या इस पर परिवार ही अंकुश लगा सकता है। पर आज तो बाप बेटे को साथ बैठकर पिलाता है। ऐसे में आप क्या करेंगे? कोई कुछ कर भी नहीं सकता। सेलिब्रेट करने के लिए बीयर तो इतनी आम हो गई है कि लोग इसे नशे की कैटेगरी से बाहर कर चुके हैं। वोदका तो हर दिन पी जाने लगी है ये जाने बिना कि गर्मी में ये कितना नुकसान पहुंचाती है। तो ऐसे में नए साल पर पुलिस औऱ कानून कि सख्ती कुछ लोगो को सजा तो जरुर दिला देगी, पर समाज में बढ़ती शराबखोरी पर लगाम बिल्कुल नहीं लगा पाएगी।

दूध पीना छोड़ दो दिल्ली वालो

दिल्ली में एक बार फिर से दूध के दाम मदर डेयरी ने बढ़ा दिए हैं। लगता है कि उसे भी लग रहा है कि दिल्ली वालों की आमदनी बढ़ गई है तो बहती गंगा में हाथ धो लिए जाएं। मदर डेयरी औऱ डीएमएस ने भी दूध के दाम बढ़ा दिए हैं। उनकी देखादेखी अमूल औऱ पारस जैसी कंपनियां भी कुछ रुक कर दाम बढ़ाने की तैयारी करेंगी। सही में दिल्ली से गरीबी हटे या नहीं मगर गरीब तो हटा कर ही दम लेगी सरकार।

प्याज के आंसू-जिम्मेवार कौन?

देश में प्याज के दामों ने लोगो के आंसू निकाल दिए हैं। कई घरों से तो क्या रेस्त्रांओं से भी प्याज लापता हो गया है। बारिश की वजह से होने वाली फसल की बर्बादी को हालांकि पवार साहब दाम बढ़ने का कारण बता रहे हैं। पर जरा ये बताने का कष्ट करेंगे कि देश में जमाखोरो ने जो प्याज बंद कर रखा है गोदामों में उनतक उनकी नजर क्यों नहीं पहुंचती। ऐसा क्या हुआ कि फसल बर्बाद होते ही दाम आसमान पर चढ़ गए। राजधानी दिल्ली में कांग्रेस सरकार शीला दीक्षित की अगुवाई में जमाखोरों को 24 घंटे पहले ही छापे की चेतावनी दे देती है। अब उसके बाद जमाखोर जैसे उनका इंतजार करते। सो 24 घंटे बाद दिल्ली सरकाकर को कोई जमाखोर नहीं मिला। धन्य है दिल्ली सरकार और धन्य हैं शरद  पवार साहब।

अशोक सिंघल ने दिया कांग्रेस को नया तीर

लगता है कि जोश में आकर नेता बोलने से पहले सोचते नहीं। अगर ये हरकत कोई नवेला नेता करे तो अलग बात होती है। पर इस बार ये गलती कर दी अशोक सिंघल जैसे तपेतपाये व्यक्ति ने। कुछ और बोलना चाहते थे लेकिन बोल कुछ गए। शायद वो ये कहना चाहते थे कि इमरजेंसी के बात इंदिरा सरकार का जो हश्र हुआ वो ही यूपीए गठबधंन का होगा। पर पिछले कुछ वर्षों से सोनिया गांधी पर निशाना साधते-साधते अफने शब्दों को साधना नेता लोग भूलते जा रहे हैं। इस तरह के बोल से विहिप नेता हिंदुओं जन के भी मन से अपना कुछ प्रभाव खो देंगे। मगर इस एक नारे ने कांग्रेस के दोनो हाथों मे लड्डू दे दिया है। येदियरप्पा वैसे ही भाजपा के लिए गले की हड्डी बने हुए हैं, उसपर इस बयान ने उसे परेशानी में डाल दिया है।

तीसमारखां - गई भैंस पानी में

लीजिए बिना शाहरुख खान के फराह खान का पहला प्रयोग विफल साबित हुआ उनकी पिछली सफलताओं को देखते हुए। खैर ये फिल्मी नगरी है यहां कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। एक चोर की भूमिका में अक्षय कुमार ने हालांकि पूरी कोशिश की है, पर अब उनमें एकरसता दिखने लगी है। कुछ नयापन अगर नहीं आया तो ये खिलाड़ी कुमार कहीं अपना रुतबा न खो दे। कैटरीन कैफ हालांकि जिस लिए फिल्म में ली गई थी उसमें तो उन्होंने कमाल ढा दिया है। पर राष्ट्रीय पुरुस्कार पाने के लिए इन सबसे आगे जाकर काम करना होगा। पर सवाल ये है कि कोई देगा उनको ये रोल। आखिर प्रकाश झा की फिल्म में उन्होंने जो सराहनीय कोशिश की थी उसके बाद इस तरह के गीत उन्हें मालामाल जरुर बना देंगे, पर बेहतरीन अभिनेत्री का तमगा शायद ही दिला पाए।

गुर्जर आंदोलन कितना जायज

पांच फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर गुर्ज़रों के आंदोलन ने देश को करोड़ो का नुकसान पहुंचा दिया है। आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन करना कोई बुरी बात नहीं है। पर क्या इस आंदोलन को करने वालों ने सोचा है कि इससे बाकी लोगो को क्या भुगतना पड़ रहा है। रेलवे को कितना नुकसान हो रहा है। ये आंदोलन पूरी तरह से पटरी से उतरता जा रहा है। देश में कई हिस्सों में आजादी के बाद भी रेल नहीं पहुंची है। जहां पहुंची है वहां लोग कभी आंदोलन के नाम पर तो कभी नक्सलवादी के नाम पर उखाड़ रहे हैं, बर्बाद कर रहे हैं। जिस पटरी को बिछाने में सालों लग जाते हैं उसे उखाड़कर आखिर ये नेता किसका भला कर रहे हैं। आरक्षण के नाम पर जनता को बरगलाकर उनका ही नुकसान पहुंचा रहे हैं।

Monday, December 20, 2010

किक्रेट के भगवान के बाद इंद्र देवता

हर गेंद औऱ हर रन के साथ रिकॉर्ड सचिन के खाते में जुड़ते चले जाते हैं। इस बार शतकों का अर्धशतक मार कर टेस्ट क्रिकेट में Sachin Tendulkar ने इतिहास रच दिया। यानि हार के रास्ते पर तेजी से बढ़ती टीम इंडिया को क्रिकेट के भगवान ने बचाने की पूरी कोशिश कर ली। अब बारी नीली छतरी के देवता की बारी है टीम इंडिया की लाज बचाने की। कई बार क्रिकेट के भगवान के साथ ही इंद्र देवता ने भी टीम इंडिया की लाज बचाई है। पर देखना है कि क्या इस बार वो साथ देते हैं। देना तो चाहिए हम भारतीयों की यही दुआ है। आखिर भगवान के शतकों के पचासे का मजा किरकिरा हो जाएगा। न तो सचिन ये चाहते हैं और न ही भारतीय खेल प्रेमी। वैसे पहले टेस्ट में फिसड्डी प्रदर्शन करना धोनी के धुरंधरों के लिए नई बात नहीं है। पिछली कुछ टेस्ट सीरिज में भारतीय धुरंधर इसी तरह से धराशाई होते दिखे हैं। पर दक्षिण अफ्रिका में सीरीज जीतने के लिए दोनो टेस्ट अब हर हाल में जीतना होगा। वरना एक ही इतिहास रच कर टीम इंडिया को भारत लौटना पड़ेगा। तो फिर इंतजार कीजिए कल का। दुआ कीजिए लाज बचाने के लिए इंद्र देवता की मेहरबानी बरकरार रहे। हालांकि आज क्रिकेट के भगवान के जश्न में मदद पहुंचाई तो है इंद्र देवता ने। इस आसार पर कल शायद ही मदद करें। फिर भी दुआ तो करनी ही पड़ेगी न।

एक कोशिश

ये ब्लॉग एक कोशिश है हिंदी में समाचार और विचार को बिना पक्षपात सबतक पहुंचाने की। इसकी सफलता के बाद इसे हिंदी वेबसाइट में तब्दील करने की योजना है। आऱंभ में इसमें केवल समाचार और लेख प्रस्तुत किए जाएंगे। आप अपने आलेख औऱ विचार हमें ईमेल कर सकते हैं। आने वाले एक-दो महीने में इसके रंग आदि में बदलाव होते रहेंगे। साथ ही इसमें देश के हर प्रदेश की बात होगी। साक्षात्कार होंगे। आम और खास हर तरह के लोगो के। हमारी कोशिश है कुछ सकारात्मक कार्यों को करने वालो को एक मंच प्रदान करने की भी।